भरतपुर में खनन रुकवाने के लिए साधु के आत्मदाह की कोशिश के बाद प्रदेश में अवैध खनन पर बहस तेज हो गई है। खुद सत्ताधारी कांग्रेस के ही (mla bharat singh)विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने (cm ashok gahlot)सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर खान मंत्री (parmod jain bhaya)प्रमोद जैन भाया को सबसे बड़ा खनन माफिया बताया है। उन्होंने भाया के तुरंत बर्खास्त करने की मांग भी की। भरतपुर सिंह पहले भी भाया पर इस तरह के आरोप लगा चुके हैं। भाया ने भरत सिंह के आरोपों को बेबुनियाद बताया है।
भाया ने तो बारां में अवैध खनन का रिकॉर्ड बनाया : भरत सिंह
भाया ने बारां में अवैध खनन का रिकॉर्ड कायम किया है। जिले में छांट-छांटकर भ्रष्ट अधिकारी लगाए गए हैं। मंत्री ने जंगल, जमीन, नदी, नालों पर अवैध खनन कराया। खनन के कारण कई लोग मर चुके हैं।
Q. आपके पास सबूत हैं? हैं तो देते क्यों नहीं?
गाेडावन क्षेत्र की बेनामी खानें भाया की हैं। बारां में सर्वाधिक अवैध खनन है, यह विधानसभा की रिपाेर्ट है। आराेप गलत हैं तो भाया मानहानि का केस करें।
Q.खान मंत्री के खिलाफ सीएम को कितने पत्र लिखे?
मेरे सिर में जितने बाल हैं, उतने लेटर लिख चुका हूं। ये आखिरी पत्र भी नहीं है। ये ताे सीएम से पूछाे कि वाे कार्रवाई क्याें नहीं कर रहे हैं। मैंने ये मामला ही नहीं, सीएम की बजट घाेषणा गाेडावन के मामले में भी कई लेटर लिखे, कुछ नहीं किया। खान मंत्री नहीं चाहते कि गोडावन अभयारण्य में गोडावन फिर से पनपें। क्योंकि यहां उनकी खानों से दिन-रात अवैध खनन हो रहा है। खान की झाेपड़िया वाले मामले में कुछ नहीं किया।
भरत सिंह भाजपा के कुचक्र से प्रभावित हैं : प्रमोद भाया
बहस का विषय यह नहीं कि हमारी पार्टी के सीनियर विधायक भरत सिंह ने मुझ पर आरोप लगाए। वह वरिष्ठ नेता हैं। मैंने उनकी बात का बुरा नहीं मानना सीख लिया है।
मेरे कार्यकाल में अवैध खनन के खिलाफ जितना काम हुआ, उतना पिछली सरकार में नहीं हुआ। सांगोद विधायक पिछली भाजपा सरकार के कुचक्र से प्रभावित हो गए होंगे। पिछले वित्तीय वर्ष में कोरोना के बावजूद लक्ष्य से 1000 करोड़ अधिक का राजस्व प्राप्त किया। सोरसन बारां की वन भूमि का हिस्सा है, पर इस क्षेत्र में 20-30 वर्षों में गोडावण नहीं देखा गया है।
जहां तक गोडावण का विषय है, इस सम्बन्ध में रिपोर्ट के मुताबिक अवगत कराना चाहूंगा कि सोरसन बारां जिले की वन भूमि का हिस्सा है, लेकिन इस क्षेत्र में गत 20-30 वर्षों में कोई गोडावण नहीं देखा गया और इसी अवधि में झालावाड़, बारां, कोटा जिले विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में राज्य की रीढ़ की हड्डी के रूप में ऊभर कर आए हैं, जिसके कारण पूरे क्षेत्र में विद्युत लाइनों का जाल बिछ गया है।
बिजली लाइन का यह घनघोर नेटवर्क गोडावण के लिए मौत व असमय दुर्घटना का सीधा संदेश हैं। इस क्षेत्र में गोडावण के विकास का कोई भी प्रयत्न बारां के विकास को अवरूद्ध करने जैसा होगा, ऐसे में विद्युत तंत्र यदि समाप्त कर दिया गया तो बारां जिला ही नहीं समूचा राजस्थान प्रदेश विकास की दृष्टि से कई दशक पीछे चला जाए गा। मैं और मेरे साथी बारां के प्रति समर्पित थे, हैं और जीवन पर्यन्त रहेंगे। मेरे कार्यकाल के दौरान सोरसन क्षेत्र में कोई अवैध खनन नहीं हुआ है।